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पाक ने तालिबान पर बढ़ाया दबाव: कहा- टीटीपी पर कार्रवाई उसकी मंशा का 'टेस्ट केस'

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 11 Jan 2022 07:10 PM IST

सार

पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि अगर तालिबान ने पाकिस्तान की चिंताओं को दूर नहीं किया, तो यह उनके लिए बहुत नुकसानदेह साबित होगा। उस हाल में पश्चिमी देश कहेंगे कि अगर तालिबान पाकिस्तान को भी संतुष्ट नहीं कर सकता, तो बाकी देशों की आतंकवाद संबंधी चिंताओं को वह कैसे हल करेगा…

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान
– फोटो : पीटीआई (फाइल)

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पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर दबाव बढ़ाने का फैसला किया है। खबरों के मुताबिक उसने तालिबान को यह संदेश दिया है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पर काबू पाने की वह कितनी कोशिश करता है, उससे ही आतंकवादी गुटों को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल न करने देने के उसके एलान की परीक्षा होगी। पाकिस्तान सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ये जानकारी पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को दी। उनके मुताबिक तालिबान से कहा गया है कि टीटीपी के मामले में उसके रुख से अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसके असली रुख का अनुमान लगाएगा।

पाकिस्तान ने खेला खेल

अधिकारी ने कहा- ‘हमने तालिबान के नेतृत्व से कहा है कि टीटीपी एक टेस्ट केस है। अगर तालिबान पाकिस्तान की चिंता को दूर नहीं कर सकता, तो फिर उनकी इस बात पर कौन भरोसा करेगा कि वे अल-कायदा और ऐसे दूसरे गुटों से रिश्ता तोड़ लेंगे।’ कुछ समय पहले तक ये समझ थी कि तालिबान और पाकिस्तान सरकार के बीच करीबी संबंध हैं। लेकिन हाल में कुछ मुद्दों को लेकर दोनों के बीच मतभेद खड़े होने के संकेत मिले हैं। उनमें एक मुद्दा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से बाड़ लगाने का भी है।

पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि अगर तालिबान ने पाकिस्तान की चिंताओं को दूर नहीं किया, तो यह उनके लिए बहुत नुकसानदेह साबित होगा। उस हाल में पश्चिमी देश कहेंगे कि अगर तालिबान पाकिस्तान को भी संतुष्ट नहीं कर सकता, तो बाकी देशों की आतंकवाद संबंधी चिंताओं को वह कैसे हल करेगा।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक ये खबर उस समय सामने आई है, जब अफगान तालिबान का टीटीपी के बारे में रुख अस्पष्ट बना हुआ है। लेकिन अब उसे अपना रुख साफ करना होगा, वरना पाकिस्तान से उसके रिश्ते खराब होंगे। पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि वे तालिबान की मदद की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसे मानवीय मदद दिलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसी कोशिश में पिछले महीने पाकिस्तान ने इस्लामिक देशों के संगठन (ओआईसी) की बैठक आयोजित की थी। लेकिन इन प्रयासों के बदले पाकिस्तान आशा करता है कि तालिबान सरकार उसकी चिंताओं को हल करे।

टीटीपी आतंकियों को सौंपने की मांग

बताया जाता है कि पिछले अगस्त में जब काबुल पर तालिबान ने कब्जा किया, तभी पाकिस्तान सरकार ने उसके सामने अपनी मांगें भेजी थीं। उसने टीटीपी आतंकवादियों की एक सूची भी तालिबान को सौंपी थी और उन्हें पाकिस्तान को सौंपने की मांग की थी। लेकिन तालिबान ने इसके बदले पाकिस्तान और टीटीपी के बीच बातचीत शुरू कराने की पहल कर दी। पाकिस्तान ने इस पहल को स्वीकार किया। उसी के तहत बीते नवंबर में पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच एक महीने के लिए युद्धविराम का समझौता हुआ था।

लेकिन उसकी अवधि पूरी होने के बाद समझौते को आगे नहीं बढ़ाया गया। युद्धविराम खत्म होने के बाद से टीटीपी ने पाकिस्तान में हमले जारी रखे हैं। अब पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि वे टीटीपी के मसले पर अफगान तालिबान से बातचीत कर रहे हैं। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक उसे एक दूसरे अधिकारी ने बताया है कि तालिबान अभी भी चाहता है कि टीटीपी अफगानिस्तान में सक्रिय न रहे। लेकिन तालिबान इसके लिए जरूरी कार्रवाई करने को तैयार नहीं दिख रहा है।

विस्तार

पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर दबाव बढ़ाने का फैसला किया है। खबरों के मुताबिक उसने तालिबान को यह संदेश दिया है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पर काबू पाने की वह कितनी कोशिश करता है, उससे ही आतंकवादी गुटों को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल न करने देने के उसके एलान की परीक्षा होगी। पाकिस्तान सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ये जानकारी पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को दी। उनके मुताबिक तालिबान से कहा गया है कि टीटीपी के मामले में उसके रुख से अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसके असली रुख का अनुमान लगाएगा।

पाकिस्तान ने खेला खेल

अधिकारी ने कहा- ‘हमने तालिबान के नेतृत्व से कहा है कि टीटीपी एक टेस्ट केस है। अगर तालिबान पाकिस्तान की चिंता को दूर नहीं कर सकता, तो फिर उनकी इस बात पर कौन भरोसा करेगा कि वे अल-कायदा और ऐसे दूसरे गुटों से रिश्ता तोड़ लेंगे।’ कुछ समय पहले तक ये समझ थी कि तालिबान और पाकिस्तान सरकार के बीच करीबी संबंध हैं। लेकिन हाल में कुछ मुद्दों को लेकर दोनों के बीच मतभेद खड़े होने के संकेत मिले हैं। उनमें एक मुद्दा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से बाड़ लगाने का भी है।

पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि अगर तालिबान ने पाकिस्तान की चिंताओं को दूर नहीं किया, तो यह उनके लिए बहुत नुकसानदेह साबित होगा। उस हाल में पश्चिमी देश कहेंगे कि अगर तालिबान पाकिस्तान को भी संतुष्ट नहीं कर सकता, तो बाकी देशों की आतंकवाद संबंधी चिंताओं को वह कैसे हल करेगा।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक ये खबर उस समय सामने आई है, जब अफगान तालिबान का टीटीपी के बारे में रुख अस्पष्ट बना हुआ है। लेकिन अब उसे अपना रुख साफ करना होगा, वरना पाकिस्तान से उसके रिश्ते खराब होंगे। पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि वे तालिबान की मदद की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उसे मानवीय मदद दिलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसी कोशिश में पिछले महीने पाकिस्तान ने इस्लामिक देशों के संगठन (ओआईसी) की बैठक आयोजित की थी। लेकिन इन प्रयासों के बदले पाकिस्तान आशा करता है कि तालिबान सरकार उसकी चिंताओं को हल करे।

टीटीपी आतंकियों को सौंपने की मांग

बताया जाता है कि पिछले अगस्त में जब काबुल पर तालिबान ने कब्जा किया, तभी पाकिस्तान सरकार ने उसके सामने अपनी मांगें भेजी थीं। उसने टीटीपी आतंकवादियों की एक सूची भी तालिबान को सौंपी थी और उन्हें पाकिस्तान को सौंपने की मांग की थी। लेकिन तालिबान ने इसके बदले पाकिस्तान और टीटीपी के बीच बातचीत शुरू कराने की पहल कर दी। पाकिस्तान ने इस पहल को स्वीकार किया। उसी के तहत बीते नवंबर में पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच एक महीने के लिए युद्धविराम का समझौता हुआ था।

लेकिन उसकी अवधि पूरी होने के बाद समझौते को आगे नहीं बढ़ाया गया। युद्धविराम खत्म होने के बाद से टीटीपी ने पाकिस्तान में हमले जारी रखे हैं। अब पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि वे टीटीपी के मसले पर अफगान तालिबान से बातचीत कर रहे हैं। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक उसे एक दूसरे अधिकारी ने बताया है कि तालिबान अभी भी चाहता है कि टीटीपी अफगानिस्तान में सक्रिय न रहे। लेकिन तालिबान इसके लिए जरूरी कार्रवाई करने को तैयार नहीं दिख रहा है।

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