न्यूजीलैंड के नजरिए मे बदलाव की शिकायत चीन के मामले में फाइव आईज (पांच आंख) गठबंधन के रुख से उसके अलग रुख लेने की वजह से पैदा हुई है। पांच देशों के इस गठबंधन में न्यूजीलैंड भी शामिल है। बाकी चार देश अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया हैं।
फाइव आईज ने हाल में हांगकांग और शिनजियांग में मानव अधिकारों के कथित हनन के मुद्दे पर चीन की आलोचना तीखी कर दी है। उसने आरोप लगाया है कि चीन शिनजियांग में ‘नरसंहार’ कर रहा है। लेकिन न्यूजीलैंड ने इन आलोचनाओं पर अपना स्वर धीमा रखा है।
हालांकि इसी हफ्ते न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डेन ने एक इंटरव्यू में इस आरोप का खंडन किया कि न्यूजीलैंड ने चीन के खिलाफ अहम मुद्दों पर ‘मजबूत रुख’ नहीं लिया है। उन्होंने इस संभावना से भी इनकार किया कि न्यूजीलैंड फाइव आईज गठबंधन से अलग हो जाएगा।
लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि बीते महीनों में न्यूजीलैंड ने चीन की तीखी आलोचना से परहेज किया है। बल्कि प्रधानमंत्री आर्डेन और विदेश मंत्री नानिया माथुआ ने साफ शब्दों में यह कहा है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मामले में अपना रास्ता न्यूजीलैंड खुद तय कर रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि असल में न्यूजीलैंड हाल में दोनों पक्षों के बीच संतुलन बैठा कर चलने की कोशिश करता रहा है। एक तरफ वह फाइव आईज गठबंधन से अलग नहीं होना चाहता, लेकिन वह यह भी नहीं चाहता कि वह ऑस्ट्रेलिया की तरह चीन से झगड़ा मोल ले। गौरतलब है कि चीन ने ऑस्ट्रेलिया से कारोबारी रिश्ते तोड़ लिए हैं, जिससे ऑस्ट्रेलिया को काफी नुकसान उठाना पड़ा है।
न्यूजीलैंड में विपक्षी दक्षिणपंथी पार्टी ने आर्डेन सरकार के इस रुख को एक बड़ा मुद्दा बना रखा है। बीते अप्रैल में उसने संसद में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सरकार से मांग की गई कि वह चीन के मामले में अमेरिका और कनाडा की नीति का अनुपालन करे।
इस प्रस्ताव में ‘नरसंहार’ शब्द का जिक्र किया था। लेकिन जेसिंड आर्डेन की पार्टी इस शब्द का इस्तेमाल करने पर तैयार नहीं हुई। इसलिए प्रस्ताव की भाषा बदलनी पड़ी। उसके बाद ‘मानव अधिकारों के संभावित हनन’ के मुद्दे पर बहस हुई। बाद में न्यूजीलैंड के विदेश मंत्रालय के दखल पर ‘संभावित’ शब्द उससे हटा दिया गया।
इसके पहले मार्च में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के विदेश मंत्रियों के जारी हुए साझा बयान में भी ‘नरसंहार’ शब्द का इस्तेमाल करने पर न्यूजीलैंड राजी नहीं हुआ था। गौरतलब है कि अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन भी चीन पर ‘नरसंहार’ का आरोप लगा चुके हैं। लेकिन न्यूजीलैंड की विदेश मंत्री माथुआ ने कहा है कि ‘नरसंहार’ सबसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराध है। इस बारे में औपचारिक निष्कर्ष गहन आकलन और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर ही निकाले जाने चाहिए।
जानकारों का कहना है कि न्यूजीलैंड के रुख में नरमी के पीछे असल पहलू व्यापार है। न्यूजीलैंड के डेयरी प्रोडक्ट्स के एक तिहाई से ज्यादा हिस्से का आयात चीन करता है। ये न्यूजीलैंड की आमदनी का प्रमुख स्रोत है।
न्यूजीलैंड में हैमिलटन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वायकातो में अंतरराष्ट्रीय कानून के विशेषज्ञ एलेक्जेंडर गिलेस्पी ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से कहा कि व्यापार आज सबसे बड़ी दुविधा बन गया है। आज यह बड़ी चुनौती है कि कैसे अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा करते हुए मानव अधिकारों के पक्ष में भी खड़ा हुआ जाए।
