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निजता की चिंता: अब जापान और अमेरिका में भी डाटा प्राइवेसी की गारंटी की पहल

सार

प्रस्तावित संशोधन कानून में एक खास प्रावधान किया जाएगा, जिसके तहत कोई कंपनी अपनी वेबसाइट यूजर के डाटा का इस्तेमाल तय नियमों के तहत ही कर पाएगी। अब नियम लागू किया जाएगा कि यूजर की सहमति लेने के बाद ही कंपनी उसके डाटा को किसी तीसरी कंपनी या किसी विज्ञापन एजेंसी को दे पाएगी…

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अब जापान में भी इंटरनेट पर यूजर्स के डाटा संबंधी प्राइवेसी को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इसके पहले यूरोपियन यूनियन (ईयू) और चीन इस दिशा में प्रभावी कदम उठा चुके हैं। जापान में प्रस्तावित कानून के तहत ऐसा प्रावधान किया जाएगा, जिससे वेबसाइट संचालक बिना यूजर की सहमति के अपने यूजर्स के ब्राउजिंग डाटा को किसी तीसरी कंपनी को नहीं दे पाएंगे।

दूरसंचार और व्यापार कानूनों में संशोधन

वेबसाइट निक्कई एशिया.कॉम में छपी एक खबर के मुताबिक जापान का गृह एवं संचार मंत्रालय इसी महीने इस दिशा में ठोस पहल करेगा। इसके लिए देश के वर्तमान दूरसंचार और व्यापार कानूनों में संशोधन किया जाएगा। उनमें मुख्य यूजर्स की प्राइवेसी और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करना होगा। साथ ही इस मामले में जापान अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को अपना सके, इसे सुनिश्चित किया जाएगा।

प्रस्तावित संशोधन कानून में एक खास प्रावधान किया जाएगा, जिसके तहत कोई कंपनी अपनी वेबसाइट यूजर के डाटा का इस्तेमाल तय नियमों के तहत ही कर पाएगी। अभी जापान में डाटा संबंधी इस्तेमाल के बारे में संबंधित यूजर की सहमति लेने का कोई नियम नहीं है। अब नियम लागू किया जाएगा कि यूजर की सहमति लेने के बाद ही कंपनी उसके डाटा को किसी तीसरी कंपनी या किसी विज्ञापन एजेंसी को दे पाएगी।

नए नियम उन तमाम कंपनियों पर लागू होंगे, जो अपनी वेबसाइट चलाती हैं। लेकिन जापान के प्रस्तावित कानून में कंपनियों को यह इजाजत होगी कि वे यूजर डाटा का इस्तेमाल अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कर सकें। यानी नए कानून से सिर्फ वे कंपनियां प्रभावित होंगी, जो यूजर्स के डाटा किसी तीसरे पक्ष को दे देती हैं।

ईयू के मॉडल को अपनाएगा जापान

जानकारों का कहना है कि जापान डाटा प्राइवेसी नियमों के मामले में ईयू के मॉडल को अपनाने जा रहा है। ईयू में डाटा इस्तेमाल के बारे में यूजर की सहमति लेने के संबंध लंबा विचार-विमर्श चला। अब वहां प्रस्तावित नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इसके मुताबिक वेबसाइट की संचालक कंपनी यूजर की सहमति लेने के बाद ही उसके कुकीज डाटा को किसी तीसरी कंपनी को दे सकेगी।

पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि डाटा प्राइवेसी संबंधी प्रावधान करने के मामले में ‘लोकतांत्रिक’ देश पिछड़ गए हैं। ईयू में अभी ड्राफ्ट तैयार हुआ है, जबकि अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन ने डाटा प्राइवेसी को सुनिश्चित करने की दिशा में अब जाकर पहला कदम उठाया है। जापान ने भी अब जाकर पहल की है। इस बीच चीन अपने यहां डाटा प्राइवेसी कानून लागू कर चुका है।

मंगलवार को आई खबर के मुताबिक अमेरिका का नेशनल टेलीकम्यूनिकेशन एंड इन्फॉर्मेशन एडमिनिट्रेशन (एनटीआईए) ने डाटा प्राइवेसी के लिए मुहिम चला रहे संगठनों के साथ बैठक करने की योजना बनाई है। साथ ही वह इस बारे में लोगों की राय भी आमंत्रित करेगा। एनटीआईए अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय की दूरसंचार इकाई है।

अमेरिकी न्यूज वेबसाइट एक्सियोस.कॉम की एक खबर के मुताबिक एनआईटीए की ताजा पहल से कांग्रेस (संसद) में लटके पड़े संघीय प्राइवेसी विधेयक को पुनर्जीवित करने की गुंजाइश बनेगी। लेकिन इस वेबसाइट ने ध्यान दिलाया है कि ये पहल उस समय शुरू हुई है, जब एनआईटीए बिना अपने प्रमुख के काम कर रहा है। इस पद के लिए बाइडन प्रशासन ने एलन डेविडसन का नाम प्रस्तावित किया है, लेकिन उनकी नियुक्ति का अभी तक कांग्रेस ने अनुमोदन नहीं किया है।

विस्तार

अब जापान में भी इंटरनेट पर यूजर्स के डाटा संबंधी प्राइवेसी को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इसके पहले यूरोपियन यूनियन (ईयू) और चीन इस दिशा में प्रभावी कदम उठा चुके हैं। जापान में प्रस्तावित कानून के तहत ऐसा प्रावधान किया जाएगा, जिससे वेबसाइट संचालक बिना यूजर की सहमति के अपने यूजर्स के ब्राउजिंग डाटा को किसी तीसरी कंपनी को नहीं दे पाएंगे।

दूरसंचार और व्यापार कानूनों में संशोधन

वेबसाइट निक्कई एशिया.कॉम में छपी एक खबर के मुताबिक जापान का गृह एवं संचार मंत्रालय इसी महीने इस दिशा में ठोस पहल करेगा। इसके लिए देश के वर्तमान दूरसंचार और व्यापार कानूनों में संशोधन किया जाएगा। उनमें मुख्य यूजर्स की प्राइवेसी और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करना होगा। साथ ही इस मामले में जापान अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को अपना सके, इसे सुनिश्चित किया जाएगा।

प्रस्तावित संशोधन कानून में एक खास प्रावधान किया जाएगा, जिसके तहत कोई कंपनी अपनी वेबसाइट यूजर के डाटा का इस्तेमाल तय नियमों के तहत ही कर पाएगी। अभी जापान में डाटा संबंधी इस्तेमाल के बारे में संबंधित यूजर की सहमति लेने का कोई नियम नहीं है। अब नियम लागू किया जाएगा कि यूजर की सहमति लेने के बाद ही कंपनी उसके डाटा को किसी तीसरी कंपनी या किसी विज्ञापन एजेंसी को दे पाएगी।

नए नियम उन तमाम कंपनियों पर लागू होंगे, जो अपनी वेबसाइट चलाती हैं। लेकिन जापान के प्रस्तावित कानून में कंपनियों को यह इजाजत होगी कि वे यूजर डाटा का इस्तेमाल अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कर सकें। यानी नए कानून से सिर्फ वे कंपनियां प्रभावित होंगी, जो यूजर्स के डाटा किसी तीसरे पक्ष को दे देती हैं।

ईयू के मॉडल को अपनाएगा जापान

जानकारों का कहना है कि जापान डाटा प्राइवेसी नियमों के मामले में ईयू के मॉडल को अपनाने जा रहा है। ईयू में डाटा इस्तेमाल के बारे में यूजर की सहमति लेने के संबंध लंबा विचार-विमर्श चला। अब वहां प्रस्तावित नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इसके मुताबिक वेबसाइट की संचालक कंपनी यूजर की सहमति लेने के बाद ही उसके कुकीज डाटा को किसी तीसरी कंपनी को दे सकेगी।

पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि डाटा प्राइवेसी संबंधी प्रावधान करने के मामले में ‘लोकतांत्रिक’ देश पिछड़ गए हैं। ईयू में अभी ड्राफ्ट तैयार हुआ है, जबकि अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन ने डाटा प्राइवेसी को सुनिश्चित करने की दिशा में अब जाकर पहला कदम उठाया है। जापान ने भी अब जाकर पहल की है। इस बीच चीन अपने यहां डाटा प्राइवेसी कानून लागू कर चुका है।

मंगलवार को आई खबर के मुताबिक अमेरिका का नेशनल टेलीकम्यूनिकेशन एंड इन्फॉर्मेशन एडमिनिट्रेशन (एनटीआईए) ने डाटा प्राइवेसी के लिए मुहिम चला रहे संगठनों के साथ बैठक करने की योजना बनाई है। साथ ही वह इस बारे में लोगों की राय भी आमंत्रित करेगा। एनटीआईए अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय की दूरसंचार इकाई है।

अमेरिकी न्यूज वेबसाइट एक्सियोस.कॉम की एक खबर के मुताबिक एनआईटीए की ताजा पहल से कांग्रेस (संसद) में लटके पड़े संघीय प्राइवेसी विधेयक को पुनर्जीवित करने की गुंजाइश बनेगी। लेकिन इस वेबसाइट ने ध्यान दिलाया है कि ये पहल उस समय शुरू हुई है, जब एनआईटीए बिना अपने प्रमुख के काम कर रहा है। इस पद के लिए बाइडन प्रशासन ने एलन डेविडसन का नाम प्रस्तावित किया है, लेकिन उनकी नियुक्ति का अभी तक कांग्रेस ने अनुमोदन नहीं किया है।

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