एजेंसी, जोहानिसबर्ग
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sat, 18 Sep 2021 12:32 AM IST
सार
दक्षिण अफ्रीका की शीर्ष अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की याचिका को खारिज कर दिया गया है। अदालत ने जुमा को 2009 से 2018 तक उनके राष्ट्रपति रहने के दौरान भ्रष्टाचार की जांच को लेकर आयोग में गवाही से इनकार पर जेल जाना चाहिए।
दक्षिण अफ्रीका की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत की अवमानना पर दी गई 15 महीने कैद की सजा को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने उस फैसले को बरकरार रखा कि जुमा को 2009 से 2018 तक उनके राष्ट्रपति रहने के दौरान भ्रष्टाचार की जांच को लेकर आयोग में गवाही से इनकार पर जेल जाना चाहिए।
पूर्व राष्ट्रपति को भ्रष्टाचार जांच आयोग के समक्ष पेश होने से इनकार करने पर हुई जेल
संवैधानिक न्यायालय ने अपने आदेश में माना कि जुमा ने सरकार और राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों में व्यापक भ्रष्टाचार की जांच के आयोग में गवाही देने से इनकार किया था और यह सजा योग्य था। जुमा को जुलाई में जेल में डाला गया था, लेकिन तब से उन्हें एक अज्ञात बीमारी के लिए मेडिकल परोल दी गई है।
उनकी रिहाई पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा करने के दौरान प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। न्यायमूर्ति सिसी खंपेपे ने शुक्रवार के फैसले को जोहानिसबर्ग में संवैधानिक न्यायालय में पढ़ा।
उन्होंने कहा कि जुमा की सजा को बरकरार रखने का फैसला न्यायाधीशों ने 7-2 के बहुमत से दिया। इस फैसले से हालांकि जुमा की पैरोल प्रभावित नहीं होगी। जुमा (79) ने दलील दी थी कि उन्हें सुनाई गई सजा अनुचित है, क्योंकि अन्य बातों के अलावा उन्हें बिना मुकदमा चलाए जेल भेजा गया था।
विस्तार
दक्षिण अफ्रीका की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत की अवमानना पर दी गई 15 महीने कैद की सजा को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने उस फैसले को बरकरार रखा कि जुमा को 2009 से 2018 तक उनके राष्ट्रपति रहने के दौरान भ्रष्टाचार की जांच को लेकर आयोग में गवाही से इनकार पर जेल जाना चाहिए।
पूर्व राष्ट्रपति को भ्रष्टाचार जांच आयोग के समक्ष पेश होने से इनकार करने पर हुई जेल
संवैधानिक न्यायालय ने अपने आदेश में माना कि जुमा ने सरकार और राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों में व्यापक भ्रष्टाचार की जांच के आयोग में गवाही देने से इनकार किया था और यह सजा योग्य था। जुमा को जुलाई में जेल में डाला गया था, लेकिन तब से उन्हें एक अज्ञात बीमारी के लिए मेडिकल परोल दी गई है।
उनकी रिहाई पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा करने के दौरान प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। न्यायमूर्ति सिसी खंपेपे ने शुक्रवार के फैसले को जोहानिसबर्ग में संवैधानिक न्यायालय में पढ़ा।
उन्होंने कहा कि जुमा की सजा को बरकरार रखने का फैसला न्यायाधीशों ने 7-2 के बहुमत से दिया। इस फैसले से हालांकि जुमा की पैरोल प्रभावित नहीं होगी। जुमा (79) ने दलील दी थी कि उन्हें सुनाई गई सजा अनुचित है, क्योंकि अन्य बातों के अलावा उन्हें बिना मुकदमा चलाए जेल भेजा गया था।
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