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त्रिपुरा: खुले में मांस की बिक्री की इजाजत नहीं, अगरतला नगर निगम को हाईकोर्ट के अहम निर्देश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अगरतला
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Tue, 01 Mar 2022 08:34 AM IST

सार

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती व जस्टिस एसजी चट्टोपाध्याय की अध्यक्षता वाली त्रिपुरा हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एएमसी को मांस की बिक्री को लेकर कई दिशा-निर्देश दिए हैं। 

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खुले में और सार्वजनिक स्थानों पर मांस की बिक्री के खिलाफ त्रिपुरा हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं। अगरतला नगर निगम (AMC) को सड़कों पर खुले में व सार्वजनिक स्थानों पर मांस की बिक्री रोकने का आदेश देते हुए दीर्घावधि योजना बनाने को कहा है। हाईकोर्ट ने राज्य में वध शालाएं बनाने के लिए कहा है। 

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती व जस्टिस एसजी चट्टोपाध्याय की अध्यक्षता वाली त्रिपुरा हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एएमसी को मांस की बिक्री को लेकर कई दिशा-निर्देश दिए हैं। इन्हें छह माह में लागू करना होगा। ये निर्देश 22 फरवरी कोक वकील अंकन तिलक पाल की जनहित याचिका पर दिए। 

आदेश में कहा गया है कि मांस की दुकानों के लाइसेंसी परिसर में स्वच्छता पर खास ध्यान देने की जरूरत है। मांस उत्पादों की बिक्री सार्वजनिक स्थानों या सड़कों पर नहीं होना चाहिए।  कोर्ट ने कहा कि बूचड़खाने या वधशालाओं में ही मांस बेचा जाना चाहिए।  जब तक ये नहीं बन जाते तब तक नगरपालिका द्वारा उपलब्ध कराए गए स्थानों पर यह बेचा जा सकता है। 

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने लुप्तप्राय प्रजातियों के पक्षियों या जानवरों के वध के मामले में एएमसी को वन विभाग को सूचित करने को कहा है, ताकि विभाग आवश्यक कानूनी कार्रवाई कर सके। अगरतला नगर निगम के आयुक्त डॉ. शैलेष कुमार यादव ने कोर्ट को बतया कि एक वधशाला के निर्माण के लिए 21 फरवरी को टेंडर जारी किया गया है। टेंडर मंजूर होने के 18 माह में इसका निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। शहर में कुल 139 लोगों को मांस बिक्री का लाइसेंस दिया गया है। 

हाईकोर्ट ने एएमसी को यह भी कहा कि वह पशुओं के वध के लिए कुछ स्थान तय कर दे। मांस की गुणवत्ता की जांच के लिए कुछ अधिकारियों को पशु चिकित्सा विभाग की मदद से प्रशिक्षित भी किया जाए। मांस बिक्री स्थलों पर स्वच्छता के लिए वहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जाएं ताकि ड्रेनेज में या नदियों में अपशिष्ट पदार्थ सीधे न बहाए जाएं। हाईकोर्ट ने राज्य के प्रदूषण नियंत्रण मंडल, पुलिस व अन्य विभागों को भी निर्देश दिया कि वे एएमसी को इस कार्य में मदद करें।

विस्तार

खुले में और सार्वजनिक स्थानों पर मांस की बिक्री के खिलाफ त्रिपुरा हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं। अगरतला नगर निगम (AMC) को सड़कों पर खुले में व सार्वजनिक स्थानों पर मांस की बिक्री रोकने का आदेश देते हुए दीर्घावधि योजना बनाने को कहा है। हाईकोर्ट ने राज्य में वध शालाएं बनाने के लिए कहा है। 

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती व जस्टिस एसजी चट्टोपाध्याय की अध्यक्षता वाली त्रिपुरा हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एएमसी को मांस की बिक्री को लेकर कई दिशा-निर्देश दिए हैं। इन्हें छह माह में लागू करना होगा। ये निर्देश 22 फरवरी कोक वकील अंकन तिलक पाल की जनहित याचिका पर दिए। 

आदेश में कहा गया है कि मांस की दुकानों के लाइसेंसी परिसर में स्वच्छता पर खास ध्यान देने की जरूरत है। मांस उत्पादों की बिक्री सार्वजनिक स्थानों या सड़कों पर नहीं होना चाहिए।  कोर्ट ने कहा कि बूचड़खाने या वधशालाओं में ही मांस बेचा जाना चाहिए।  जब तक ये नहीं बन जाते तब तक नगरपालिका द्वारा उपलब्ध कराए गए स्थानों पर यह बेचा जा सकता है। 

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने लुप्तप्राय प्रजातियों के पक्षियों या जानवरों के वध के मामले में एएमसी को वन विभाग को सूचित करने को कहा है, ताकि विभाग आवश्यक कानूनी कार्रवाई कर सके। अगरतला नगर निगम के आयुक्त डॉ. शैलेष कुमार यादव ने कोर्ट को बतया कि एक वधशाला के निर्माण के लिए 21 फरवरी को टेंडर जारी किया गया है। टेंडर मंजूर होने के 18 माह में इसका निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। शहर में कुल 139 लोगों को मांस बिक्री का लाइसेंस दिया गया है। 

हाईकोर्ट ने एएमसी को यह भी कहा कि वह पशुओं के वध के लिए कुछ स्थान तय कर दे। मांस की गुणवत्ता की जांच के लिए कुछ अधिकारियों को पशु चिकित्सा विभाग की मदद से प्रशिक्षित भी किया जाए। मांस बिक्री स्थलों पर स्वच्छता के लिए वहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जाएं ताकि ड्रेनेज में या नदियों में अपशिष्ट पदार्थ सीधे न बहाए जाएं। हाईकोर्ट ने राज्य के प्रदूषण नियंत्रण मंडल, पुलिस व अन्य विभागों को भी निर्देश दिया कि वे एएमसी को इस कार्य में मदद करें।

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