videsh

तकनीक का दौर: व्हाइट कॉलर नौकरियां छीनने आ रहे रोबोट, कई सेवाओं के लिए अब एआई एप

ख़बर सुनें

बैंक स्टेटमेंट मिलाना, खर्च की रिपोर्ट जांचना, टैक्स फॉर्म का निरीक्षण, अकाउंटिंग के सुस्ती भरे लेकिन महत्वपूर्ण काम अमेरिका में तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमल) पर आधारित एप हथियाने लगे हैं।

ज्यादा जटिल काम करवाने हैं तो उसके एप के लिए पैसा खर्च करना होगा लेकिन ज्यादा नहीं। यह ऑटोमेशन का दौर है जिसे रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन यानी आरपीए कहा जा रहा है। इसके आने से सुरक्षित समझी जा रही व्हाइट कॉलर नौकरी खतरे में दिखाई देने लगी है।

चिंता बढ़ गई है, क्योंकि यह नए उपकरण सामान्य काम नहीं कर रहे हैं बल्कि बौद्धिक समझ से जुड़े कामों में भी इनका उपयोग हो रहा है। कंपनियां इन्हें अपना सबसे प्रोडक्टिव कर्मचारी करार देने लगी हैं तो कई उनके काम का दायरा लगातार बढ़ा रही हैं।

  • 4.5 करोड़ नौकरियां जाएंगी वर्ष 2030 तक
  • 12 प्रतिशत बढ़ा 2020 में ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर का बाजार अमेरिका में।
  • 20 प्रतिशत वृद्धि दर 2021 में रहेगी।
  • 3.50 करोड़ नौकरियां 2030 तक जाने का था अनुमान।
  • 4.50 करोड़ तक बढ़ाया गया यह है अनुमान अब।
10 में से आठ कंपनियों ने अपनाया 
2020 में डेलॉयट संस्था के अध्ययन के अनुसार, 10 में से 8 कॉरपोरेट्स आरपीए अपना चुके हैं। बाकी में से 75 प्रतिशत अगले तीन साल में इसे अपना लेंगे। इनमें से 2.57 लाख करोड़ की यूआईपाथ से लेकर ब्लूप्रिज्म और माइक्रोसॉफ्ट तक शामिल हैं।

ऑटोमेशन स्वीकारा जा रहा है
ऑक्सिस फार्म के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रॉल वेगा के अनुसार, ऑटोमेशन को राजनीतिक स्वीकार्यता मिल चुकी है। वित्तीय कार्य इसके हवाले हो रहे हैं यह अमेरिकी नौकरियां भारत में बंगलूरू या हांगकांग में शेनझेन भेजने से ज्यादा खतरनाक है। इस बारे में कोई सोच नहीं रहा क्योंकि पहले ही दसियों लाख लोगों की नौकरियां छूटने का शोर काफी है।

सस्ती तकनीक इसलिए ज्यादा नौकरियों पर खतरा
फॉरेस्टर रिसर्च संस्था से जुड़े क्रेग ले क्लेयर के अनुसार आरपीए के जरिए कंपनियां केवल सवा 7 लाख में ऐसे रोबोटिक प्रोग्राम बना सकती हैं जो तीन से चार कर्मचारियों का काम करते हैं। यानी खर्च में 30 से 40 गुना बचत। तर्क है कि इससे काम आसान हुआ है लेकिन जानकारों के अनुसार, काम केवल कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आसान हुआ है। कंपनियां खर्च घटाने व कोविड-19 के बहाने भी ऑटोमेशन को बढ़ावा दे रही हैं।

रोबोट प्रूफ होगा भविष्य 
अमेरिकी इंश्योरेंस कंपनी की तकनीकी प्रबंधन हॉली यूहल के अनुसार, उनकी फर्म ने 1.73 लाख मानव श्रम घंटों का काम ऑटोमेशन से करवाया, किसी को नौकरी से नहीं निकाला। काम को बेहतर करने की मंशा से ऑटोमेशन उपयोग करें तो फायदा होगा। स्टैनफोर्ड सहित कई संस्थानों के अध्ययन बताते हैं कि एआई व एमएल के साथ हो रहे कामों के लिए कर्मचारियों को बेहतर वेतन मिल रहे हैं। इसके लिए विशेषज्ञों की जरूरत होगी, न केवल कॉलेज डिग्री की।
 

बैंक स्टेटमेंट मिलाना, खर्च की रिपोर्ट जांचना, टैक्स फॉर्म का निरीक्षण, अकाउंटिंग के सुस्ती भरे लेकिन महत्वपूर्ण काम अमेरिका में तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमल) पर आधारित एप हथियाने लगे हैं।

ज्यादा जटिल काम करवाने हैं तो उसके एप के लिए पैसा खर्च करना होगा लेकिन ज्यादा नहीं। यह ऑटोमेशन का दौर है जिसे रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन यानी आरपीए कहा जा रहा है। इसके आने से सुरक्षित समझी जा रही व्हाइट कॉलर नौकरी खतरे में दिखाई देने लगी है।

चिंता बढ़ गई है, क्योंकि यह नए उपकरण सामान्य काम नहीं कर रहे हैं बल्कि बौद्धिक समझ से जुड़े कामों में भी इनका उपयोग हो रहा है। कंपनियां इन्हें अपना सबसे प्रोडक्टिव कर्मचारी करार देने लगी हैं तो कई उनके काम का दायरा लगातार बढ़ा रही हैं।

  • 4.5 करोड़ नौकरियां जाएंगी वर्ष 2030 तक
  • 12 प्रतिशत बढ़ा 2020 में ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर का बाजार अमेरिका में।
  • 20 प्रतिशत वृद्धि दर 2021 में रहेगी।
  • 3.50 करोड़ नौकरियां 2030 तक जाने का था अनुमान।
  • 4.50 करोड़ तक बढ़ाया गया यह है अनुमान अब।
10 में से आठ कंपनियों ने अपनाया 

2020 में डेलॉयट संस्था के अध्ययन के अनुसार, 10 में से 8 कॉरपोरेट्स आरपीए अपना चुके हैं। बाकी में से 75 प्रतिशत अगले तीन साल में इसे अपना लेंगे। इनमें से 2.57 लाख करोड़ की यूआईपाथ से लेकर ब्लूप्रिज्म और माइक्रोसॉफ्ट तक शामिल हैं।

ऑटोमेशन स्वीकारा जा रहा है

ऑक्सिस फार्म के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रॉल वेगा के अनुसार, ऑटोमेशन को राजनीतिक स्वीकार्यता मिल चुकी है। वित्तीय कार्य इसके हवाले हो रहे हैं यह अमेरिकी नौकरियां भारत में बंगलूरू या हांगकांग में शेनझेन भेजने से ज्यादा खतरनाक है। इस बारे में कोई सोच नहीं रहा क्योंकि पहले ही दसियों लाख लोगों की नौकरियां छूटने का शोर काफी है।

सस्ती तकनीक इसलिए ज्यादा नौकरियों पर खतरा

फॉरेस्टर रिसर्च संस्था से जुड़े क्रेग ले क्लेयर के अनुसार आरपीए के जरिए कंपनियां केवल सवा 7 लाख में ऐसे रोबोटिक प्रोग्राम बना सकती हैं जो तीन से चार कर्मचारियों का काम करते हैं। यानी खर्च में 30 से 40 गुना बचत। तर्क है कि इससे काम आसान हुआ है लेकिन जानकारों के अनुसार, काम केवल कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आसान हुआ है। कंपनियां खर्च घटाने व कोविड-19 के बहाने भी ऑटोमेशन को बढ़ावा दे रही हैं।

रोबोट प्रूफ होगा भविष्य 

अमेरिकी इंश्योरेंस कंपनी की तकनीकी प्रबंधन हॉली यूहल के अनुसार, उनकी फर्म ने 1.73 लाख मानव श्रम घंटों का काम ऑटोमेशन से करवाया, किसी को नौकरी से नहीं निकाला। काम को बेहतर करने की मंशा से ऑटोमेशन उपयोग करें तो फायदा होगा। स्टैनफोर्ड सहित कई संस्थानों के अध्ययन बताते हैं कि एआई व एमएल के साथ हो रहे कामों के लिए कर्मचारियों को बेहतर वेतन मिल रहे हैं। इसके लिए विशेषज्ञों की जरूरत होगी, न केवल कॉलेज डिग्री की।

 

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

17
Desh

उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबे समय से चलता आ रहा है ये 'रिवाज', 20 सालों में बने 11 सीएम!

17
videsh

अमेरिका ने कहा: पड़ोसियों के कुछ मामलों में हमलावर है चीन

16
Entertainment

जब विद्या बालन का बढ़ा वजन बन गया था 'राष्ट्रीय मुद्दा', कहा- खुद के शरीर से होने लगी थी नफरत

फरवरी में भारतीय कंपनियों का विदेशी बाजार में 31 फीसदी घटा निवेश
16
Business

फरवरी में भारतीय कंपनियों का विदेशी बाजार में 31 फीसदी घटा निवेश

16
Entertainment

लग्जरी होटल्स और आलीशान बंगले के मालिक हैं मिथुन चक्रवर्ती, 76 कुत्ते लगातार करते हैं घर की निगरानी

15
Entertainment

'तारे जमीं पर' फेम दर्शील सफारी में आ गया है बदलाव, पहचान भी नहीं पाएंगे आप

15
Entertainment

आयकर विभाग के छापे पर तापसी पन्नू ने दी प्रतिक्रिया, कहा- कुछ महीनों में जान गई हूं यहां कुछ भी हो सकता है

14
Desh

संसद का बजट सत्र : आज से दोनों सदनों की कार्यवाही सुबह 11 बजे से होगी शुरू

जनवरी 2021 के पहले सप्ताह (04 से 10 जनवरी तक) में इस दिन रहें जरा बचके... जनवरी 2021 के पहले सप्ताह (04 से 10 जनवरी तक) में इस दिन रहें जरा बचके...
14
Astrology

ज्योतिष गणना (8 से 14 मार्च) : मार्च महीने के इस सप्ताह में किस दिन रहें जरा बचके…

14
Desh

बजट सत्र : तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर संसद में हंगामा, राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित

14
Tech

Truecaller का नया एप लीक कर रहा था लाइव लोकेशन, भारतीय हैकर ने किया खुलासा

To Top
%d bloggers like this: