एजेंसी, बीजिंग
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sat, 18 Sep 2021 12:14 AM IST
सार
चीन द्वारा देश में निजी ट्यूशन पर पाबंदी की घोषणा के बाद छात्रों और अभिभावकों में जबरदस्त विरोध हो रहा है। छात्रों का कहना है कि इस नियम के लादने से उनके भविष्य को बड़ा नुकसान होने की आशंका है।
चीन ने हाल ही में देश के भीतर निजी ट्यूशन पर पाबंदी की घोषणा की है। लेकिन स्कूल और उसके बाद की विभिन्न परीक्षाओं को व्यक्तिगत ट्यूशन के बिना उत्तीर्ण करना मुश्किल होने के चलते इस घोषणा का छात्रों और अभिभावकों में जबरदस्त विरोध हो रहा है। छात्रों का कहना है कि इस नियम के लादने से उनके भविष्य को बड़ा नुकसान होने की आशंका है।
चीन में कुछ विश्लेषक ट्यूशन पर पाबंदी को निजी क्षेत्र पर नजर रखने और पब्लिक स्कूलों को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह प्रतिबंध भी छात्रों को विदेशी प्रभाव से दूर रखने और पब्लिक स्कूलों के नियंत्रण में रखने का एक प्रयास प्रतीत होता है। हालांकि चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने कहा है कि वह चीनी बच्चों में पढ़ाई के जबरदस्त दबाव को कम करना चाहती थी क्योंकि वे बेहद प्रतिस्पर्धी स्कूलों में दाखिले के लिए खास तैयारी करते हैं।
ताकि अभिभावक एक से ज्यादा बच्चे पैदा कर सकें
बीजिंग में एक विचित्र व्याख्या चल रही है कि वह माता-पिता के वित्तीय बोझ को दूर करने की कोशिश कर रही है, ताकि वे एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर ध्यान दे सकें। बता दें कि चीन ने हाल ही में तीन बच्चे पैदा करने की नीति घोषित की है। जबकि माता-पिता एक ही बच्चे पर इतना खर्च कर देते हैं कि दूसरे के लिए सोचते तक नहीं।
विस्तार
चीन ने हाल ही में देश के भीतर निजी ट्यूशन पर पाबंदी की घोषणा की है। लेकिन स्कूल और उसके बाद की विभिन्न परीक्षाओं को व्यक्तिगत ट्यूशन के बिना उत्तीर्ण करना मुश्किल होने के चलते इस घोषणा का छात्रों और अभिभावकों में जबरदस्त विरोध हो रहा है। छात्रों का कहना है कि इस नियम के लादने से उनके भविष्य को बड़ा नुकसान होने की आशंका है।
चीन में कुछ विश्लेषक ट्यूशन पर पाबंदी को निजी क्षेत्र पर नजर रखने और पब्लिक स्कूलों को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह प्रतिबंध भी छात्रों को विदेशी प्रभाव से दूर रखने और पब्लिक स्कूलों के नियंत्रण में रखने का एक प्रयास प्रतीत होता है। हालांकि चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने कहा है कि वह चीनी बच्चों में पढ़ाई के जबरदस्त दबाव को कम करना चाहती थी क्योंकि वे बेहद प्रतिस्पर्धी स्कूलों में दाखिले के लिए खास तैयारी करते हैं।
ताकि अभिभावक एक से ज्यादा बच्चे पैदा कर सकें
बीजिंग में एक विचित्र व्याख्या चल रही है कि वह माता-पिता के वित्तीय बोझ को दूर करने की कोशिश कर रही है, ताकि वे एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर ध्यान दे सकें। बता दें कि चीन ने हाल ही में तीन बच्चे पैदा करने की नीति घोषित की है। जबकि माता-पिता एक ही बच्चे पर इतना खर्च कर देते हैं कि दूसरे के लिए सोचते तक नहीं।
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