सार
तुर्की के इस निर्णय को महिला-सुरक्षा की दिशा में कई कदम पीछे जाने जैसा देखा जा रहा है। राष्ट्रपति अर्दोगान ने दावा किया तुर्की अपने ढंग से महिला संरक्षण पर काम करेगा। पर उनके दावे पर महिलाओं को भरोसा नहीं है।
तुर्की में विरोध करती महिलाएं
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राजधानी इस्तांबुल में हुई थी ऐतिहासिक संधि, निर्णय के खिलाफ सड़कों पर उतरीं महिलाएं
इस निर्णय को महिला-सुरक्षा की दिशा में कई कदम पीछे जाने जैसा देखा जा रहा है। राष्ट्रपति रिजिब तैयप अर्दोगान ने दावा किया तुर्की अपने ढंग से महिला संरक्षण पर काम करेगा। पर उनके दावे पर महिलाओं को भरोसा नहीं है।
इसलिए बृस्पतिवार को सैकड़ों महिलाओं ने राजधानी सहित कई शहरों में प्रदर्शन किए। अर्दोगान ने मार्च में ही इस संधि से अलग होने की घोषणा की थी। उनका कहना है कि इस्तांबुल संधि के जरिए समलैंगिकता को सामान्य बनाने की कोशिश की जा रही है।
एलजीबीटी का भी प्रदर्शन
इस्तांबुल में पुलिस की मौजूदगी के बीच हजारों महिलाओं ने प्रदर्शन किए। इसमें बड़ी संख्या में एलजीबीटी के समुदाय के सभी सदस्य भी शामिल हुए। वे इंद्रधनुष झंडे लेकर, संगीत व सीटियां बजाते हुए नारेबाजी कर रहे थे। उन्हें रोकने के लिए जब बैरिकॉडिंग की गई। इस्तिकलाल-एवेन्यू और तकसीम स्क्वायर सहित कई जगह पुलिस से संघर्ष हुआ।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा- शर्मनाक
अमेरिकी सरकार में प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, तुर्की का संधि से हटना निराशाजनक और महिलाओं के खिलाफ हिंसा खत्म करने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में पीछे जाने जैसा है। एमनेस्टी तुर्की की मलिना बायम ने शर्मनाक कदम बताया।
एमनेस्टी महासचिव इग्नेस कालमार्ड ने संधि को महिलाओं की सुरक्षा की सबसे विकसित कसौटी बताते हुए कहा कि महिलाओं का शोषण, हत्या करने वालों को तुर्की ने संदेश दिया है कि वे महिलाओं से चाहे जो करें उन्हें कुछ नहीं किया जाएगा।
न्यायिक प्रक्रिया पर पुनर्विचार, व्यवस्था में सुधार का दावा:
अर्दोगान ने कहा, तुर्की में महिलाओं से हिंसा पर कार्रवाई इस्तांबुल संधि से पहले भी होती थी और बाद में भी होगी। एक एक्शन प्लान की घोषणा कर उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया पर पुनर्विचार किया जा रहा है। महिलाओं के संरक्षण की व्यवस्था सुधारी जा रही है। पिछले वर्ष यहां 409 महिलाओं की हत्या कर दी गई थी। इस वर्ष अब तक 190 हत्याएं हो चुकी हैं।
क्या है इस्तांबुल संधि में
- शामिल देशों पर अपने महिला पुरुष व अन्य नागरिकों को समान अधिकार देने की जिम्मेदारी है।
- लिंग आधारित हिंसा में पीड़ित महिलाओं की रक्षा व आरोपियों को सजा देना सरकार का दायित्व माना गया। घरेलू हिंसा व आरोपियों को संरक्षण खत्म करने को कहा गया।