Desh

उपराष्ट्रपति का नया मंत्र: बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति और कला का तालमेल जरूरी 

देश की बहुआयामी संस्कृति और कला के क्षेत्र में काम करने वाली प्रतिभाओं के लिए लंबे समय के बाद एक नई उम्मीद जागी है। महामारी के निराशा भरे दो सालों के बाद कला और संस्कृति की तमाम हस्तियां आज वर्जुअल से एक्चुअल में लौट आई हैं। दिल्ली के विज्ञान भवन में ललित कला अकादमी और संगीत नाटक अकादमी सम्मानों के शानदार कार्यक्रम के बाद ललित कला अकादमी परिसर में 62वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी शुरू हुई और पूरा माहौल बेहद उत्साह भरा नजर आया। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने इस मौके पर एक नया मंत्र दिया,  नेचर, कल्चर टुगेदर फॉर बेटर फ्यूचर। यानी बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति और कला का तालमेल बेहद   जरूरी है।

कलाकारों को सम्मानित करने के बाद उपराष्ट्रपति ने देश के अलग-अलग राज्यों, क्षेत्रों और अंचलों की संस्कृति और परंपरा का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी भाषाएं बेशक अलग हों लेकिन संस्कृति हमें एक सूत्र में बांधती है। हमें दुनिया के किसी भी कोने में अपनी पोशाक, भाषा या सांस्कृतिक परंपराओं को बताने में संकोच नहीं करना चाहिए क्योंकि यही हमारी पहचान है और हमारा गौरव भी है। उन्होंने अपने बारे में भी कहा कि मैं जहां भी जाता हूं अपनी पारंपरिक वेशभूषा में ही जाता हूं और मुझे इसमें गर्व होता है। उन्होंने कहा कि हमें अपना माइंड सेट बदलना होगा और छोटी उम्र से ही बच्चों में ये संस्कार देने होंगे, साथ ही उनकी कला और प्रतिभा को प्रोत्साहित करना होगा।

अनसंग हीरोज़ की तलाश करना लक्ष्य : किशन रेड्डी 
ललित कला अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित 20 प्रतिष्ठित कलाकारों की चुनी हुई पेंटिंग औऱ मूर्तिकला की शानदार प्रदर्शनी रवीन्द्र भवन परिसर में देखी जा सकती है। प्रदर्शनी का उद्घाटन किया केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने। संस्कृति मंत्री ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान अब ललित कला अकादमी पुरस्कारों की संख्या 15 से बढ़ाकर 20 कर दी गई है और हमारी कोशिश है कि उन गुमनाम कलाकारों को सामने लाया जाए जिनपर कम ही लोगों का ध्यान जाता है। यानी कला के क्षेत्र में अनसंग हीरोज़ की तलाश करना हमारा लक्ष्य है।  

संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने भारत में कला के कई रूपों का जिक्र किया और कहा कि भारत विश्वगुरु इसीलिए माना गया है क्योंकि ज्ञान खोजने के लिए लोग यहीं आते थे। ललित कला अकादमी की अध्यक्ष उमा नंदुरी ने पुरस्कृत कलाकारों को बधाई देते हुए वादा किया कि अकादमी देश में ललित कलाओं के प्रसार के लिए और कलाकारों को पहचान दिलाने के लिए लगातार कोशिश करती रहेगी।

इनको मिला सम्मान
इस मौके पर अकादमी ने 3 जाने माने कलाकारों को फेलोशिप से भी नवाज़ा। ये कलाकार हैं – हिम्मत शाह, ज्योति भट्ट और श्याम शर्मा। 62वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के जो 20 पुरस्कार विजेता हैं आनंद नारायण दाबली, भोला कुमार, देवेश उपाध्याय, दिग्विजय खटुआ, घनश्याम काहर, जगन मोहन पेनुगन्ती, जिन्तु मोहन कलिता, कुसुम पाण्डेय, लक्ष्मीप्रिया पाणिग्रही, मंजूनाथ होनापुरा, मोहन भोया, नेमा राम जांगि?, निशा चड्डा, प्रभू हरसूर, प्रेम कुमार सिंह, प्रीतम मैती, ऋषि राज तोमर, एस.ए.विमलानाथन, शिवानंद शागोती और सुनील कुमार सिंह कुशवाहा। 

मशहूर कलाकार मंजरी चतुर्वेदी ने बांधा समा
दिल्ली के इंडिया इंटरनेशन सेंटर के फाउंटेन लॉन की खूबसूरती में शनिवार को सूफ़ी कथक की मशहूर कलाकार मंजरी चतुर्वेदी ने चार चांद लगा दिए। हर वक्त नए नए प्रयोग करने वाली मंजरी ने इस बार पंजाब की संस्कृति और वहां की पारंपरिक कथा शैलियों को रंगमंच और नृत्य के अद्भुत रंगों में पेश किया। पंजाब की संस्कृति में  जुगनी की ढेरों कहानियां हैं। उन्हीं में से चंद कहानियों को ‘ओ जुगनी पंजाब दी’ के जरिये मंजरी चतुर्वेदी ने वहां के कुछ चर्चित कलाकारों के साथ पेश किया।

पंजाब के जाने माने थिएटर कलाकार बलकार सिद्धू और जसवीर कुमार ने बहुत ही प्रभावशाली तरीके से इस पूरी कहानी को अभिनय और भावों के साथ डूब कर बताया है। उस्ताद रांझन अली का संगीत दिल में उतर जाता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ब्रॉडवे तकनीक के जरिये इस प्रस्तुति में रंगों और रोशनियों का अद्भुत इस्तेमाल किया गया है और मंजरी चतुर्वेदी की नृत्य संरचनाएं दर्शकों को एक आध्यात्मिक दुनिया में ले जाती हैं।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: