अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई।
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 18 Sep 2021 05:45 AM IST
सार
ईडी के आरोपपत्र के मुताबिक सचिन वाजे ने बताया कि मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने जुलाई 2020 में मुंबई के 10 पुलिस उपायुक्तों का तबादला कर दिया था। परमबीर के इस आदेश से देशमुख खुश नही थे। तबादला आदेश रोकने के लिए अनिल देशमुख और शिवसेना नेता अनिल परब ने मुंबई के दस पुलिस उपायुक्तों से 40 करोड़ रुपए की रिश्वत ली थी।
अनिल देशमुख, एनसीपी नेता
– फोटो : ani
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपपत्र में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के कथित कारनामों का काला चिट्ठा खुल गया है। देशमुख ने बार और पब से वसूली के अलावा डीसीपी के तबादले में भी मोटी रकम ऐंठी थी। बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे ने ईडी को बताया कि 15 साल के बाद उसे पुलिस सेवा में बहाल करने के लिए भी देशमुख ने दो करोड़ रुपये मांगे थे। वाजे ने देशमुख के अलावा परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं।
ईडी के आरोपपत्र के मुताबिक सचिन वाजे ने बताया कि मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने जुलाई 2020 में मुंबई के 10 पुलिस उपायुक्तों का तबादला कर दिया था। परमबीर के इस आदेश से देशमुख खुश नही थे। तबादला आदेश रोकने के लिए अनिल देशमुख और शिवसेना नेता अनिल परब ने मुंबई के दस पुलिस उपायुक्तों से 40 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। ईडी ने देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली से संबंधित कई आरोप लगाए हैं।
इसमें कहा गया कि तत्कालीन गृहमंत्री देशमुख ने क्राइम इंटेलिजेंट यूनिट (सीआईयू) चीफ और अब बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को 4.6 करोड़ रुपये अपने निजी सहायक कुंदन शिंदे को देने के लिए कहा था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वाजे ने यह रकम 16 बैग में भरकर मुंबई के मालाबार हिल स्थित सरकारी सह्याद्री गेस्ट हाउस और राजभवन के बाहर पहुंचाया था। इस रकम का इस्तेमाल देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख ने किया था और दिल्ली की एक कंपनी से यह रकम देशमुख परिवार के श्री सांई शिक्षण संस्थान ट्रस्ट को दान के रूप में भेजी गई थी। आरोप पत्र में यह भी जिक्र है कि अनिल देशमुख ने यह रकम अवैध तरीके से डांस-बार से जुटाने के लिए कहा था।
14 आरोपी बनाए पर देशमुख व परिवार का नाम नहीं
आरोपपत्र में ईडी ने 14 लोगों को आरोपी बनाया है लेकिन एनसीपी नेता अनिल देशमुख या उनके परिवार के किसी भी सदस्य का नाम आरोपी के रूप में शामिल नहीं किया गया है। इसकी वजह यह है कि पांच बार बुलाए जाने के बाद भी देशमुख ईडी के सामने पेश नहीं हुए। इसलिए अभी यह तय नहीं हो पाया है कि मनी लॉन्ड्रिंग के खेल में देशमुख की क्या भूमिका थी। वहीं, पलांडे और शिंदे न्यायिक हिरासत में हैं।
देशमुख ने बनाया कंपनियों का जाल
ईडी ने आरोप लगाया है कि देशमुख परिवार के नाम पर 13 कंपनियां थी। उतनी ही कंपनी उनके करीबियों के नाम पर भी थीं। इस तरह कंपनियों का जाल बना था जिसके माध्यम से ही पूरा पैसा एक-दूसरे के बीच ट्रांसफर होता था। यह कंपनियां भंडारण, रसद और परिवहन, रीयल इस्टेट, होटल और रेस्टोरेंट आदि कारोबार से संबंधित थी। इसमें से कई ऐसी भी कंपनियां थी जिसमें कोई व्यापार ही नहीं होता था।
विस्तार
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपपत्र में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के कथित कारनामों का काला चिट्ठा खुल गया है। देशमुख ने बार और पब से वसूली के अलावा डीसीपी के तबादले में भी मोटी रकम ऐंठी थी। बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे ने ईडी को बताया कि 15 साल के बाद उसे पुलिस सेवा में बहाल करने के लिए भी देशमुख ने दो करोड़ रुपये मांगे थे। वाजे ने देशमुख के अलावा परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं।
ईडी के आरोपपत्र के मुताबिक सचिन वाजे ने बताया कि मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने जुलाई 2020 में मुंबई के 10 पुलिस उपायुक्तों का तबादला कर दिया था। परमबीर के इस आदेश से देशमुख खुश नही थे। तबादला आदेश रोकने के लिए अनिल देशमुख और शिवसेना नेता अनिल परब ने मुंबई के दस पुलिस उपायुक्तों से 40 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। ईडी ने देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली से संबंधित कई आरोप लगाए हैं।
इसमें कहा गया कि तत्कालीन गृहमंत्री देशमुख ने क्राइम इंटेलिजेंट यूनिट (सीआईयू) चीफ और अब बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को 4.6 करोड़ रुपये अपने निजी सहायक कुंदन शिंदे को देने के लिए कहा था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वाजे ने यह रकम 16 बैग में भरकर मुंबई के मालाबार हिल स्थित सरकारी सह्याद्री गेस्ट हाउस और राजभवन के बाहर पहुंचाया था। इस रकम का इस्तेमाल देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख ने किया था और दिल्ली की एक कंपनी से यह रकम देशमुख परिवार के श्री सांई शिक्षण संस्थान ट्रस्ट को दान के रूप में भेजी गई थी। आरोप पत्र में यह भी जिक्र है कि अनिल देशमुख ने यह रकम अवैध तरीके से डांस-बार से जुटाने के लिए कहा था।
14 आरोपी बनाए पर देशमुख व परिवार का नाम नहीं
आरोपपत्र में ईडी ने 14 लोगों को आरोपी बनाया है लेकिन एनसीपी नेता अनिल देशमुख या उनके परिवार के किसी भी सदस्य का नाम आरोपी के रूप में शामिल नहीं किया गया है। इसकी वजह यह है कि पांच बार बुलाए जाने के बाद भी देशमुख ईडी के सामने पेश नहीं हुए। इसलिए अभी यह तय नहीं हो पाया है कि मनी लॉन्ड्रिंग के खेल में देशमुख की क्या भूमिका थी। वहीं, पलांडे और शिंदे न्यायिक हिरासत में हैं।
देशमुख ने बनाया कंपनियों का जाल
ईडी ने आरोप लगाया है कि देशमुख परिवार के नाम पर 13 कंपनियां थी। उतनी ही कंपनी उनके करीबियों के नाम पर भी थीं। इस तरह कंपनियों का जाल बना था जिसके माध्यम से ही पूरा पैसा एक-दूसरे के बीच ट्रांसफर होता था। यह कंपनियां भंडारण, रसद और परिवहन, रीयल इस्टेट, होटल और रेस्टोरेंट आदि कारोबार से संबंधित थी। इसमें से कई ऐसी भी कंपनियां थी जिसमें कोई व्यापार ही नहीं होता था।
Source link
Share this:
-
Click to share on Facebook (Opens in new window)
-
Like this:
Like Loading...
anil deshmukh, ed, enforcement directorate, India News in Hindi, Latest India News Updates, money laundering, money recovery case, mumbai news, parambir singh, sachin waze, transfer of dcp