बलोचिस्तान के केंद्रीय पुलिस कार्यालय ने एक अधिसूचना जारी की। इसके अनुसार, ग्वादर पर अतिरिक्त पुलिस बल भेजा जा रहा है जिसमें निचले कैडर के कर्मियों के अलावा पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) और स्टेशन हाउस अधिकारी (एसएचओ) शामिल हैं।
अधिसूचना में कहा गया है कि एएसपी (सहायक पुलिस अधीक्षक), डीएसपी और एसएचओ को छोड़कर कोई और अधिकारी हथियार नहीं ले जाएगा। प्रत्येक एएसपी / डीएसपी और प्रत्येक एसएचओ के साथ दो बंदूकधारी पुलिसकर्मी साथ होंगे और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
सैकड़ों स्थानीय निवासियों, नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं, वकीलों, महिलाओं सहित पत्रकार पिछले 18 दिनों से ग्वादर में अनावश्यक चौकियों, पानी और बिजली की भारी कमी और अवैध मछली पकड़ने से आजीविका के खतरे के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और ग्वादर में धरना दे रहे हैं।
जमात-ए-इस्लामी के स्थानीय नेता मौलाना हिदायतुर रहमान के नेतृत्व में ग्वादर को हुकूक दो तहरीक (ग्वादर आंदोलन को अधिकार दें) में ग्वादर, तुर्बत, पिश्कन, जमरान, बुलेदा, ओरमारा और पासनी के प्रदर्शनकारी हिस्सा ले रहे हैं।
बता दें कि (सीपैक) की 2015 में 4600 करोड़ डॉलर के निवेश के साथ घोषणा की गई थी, तभी से विवाद हो रहे हैं। सीपैक पाकिस्तान के दक्षिण में अरब सागर में ग्वादर बंदरगाह को चीन के पश्चिमी प्रांत शिनजियांग से जोड़ेगा। इस परियोजना में सड़क, रेल और तेल की पाइपलाइन भी बनाई जा रही है।
यह चीन का अरब देशों से संपर्क सुधारेंगे। लेकिन ग्वादर के प्रदर्शन ने साबित किया है कि सीपैक पाकिस्तान की आर्थिक प्रगति के लिए कोई रामबाण इलाज नहीं, बल्कि अधूरा विचार है।
रिपोर्ट के अनुसार लोगों की चिंताओं की परवाह किए बिना एक बड़ा विकास कार्यक्रम थोपने से विफलता ही मिलेगी। चीन और पाकिस्तान को ग्वादर में अपने निवेश और प्रयासों को लेकर फिर से सोचने की जरूरत है, वरना यह प्रोजेक्ट बर्बाद होगा।