वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 03 Aug 2021 02:11 PM IST
सार
पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप की इसी हैसियत के कारण रिपब्लिकन पार्टी के नेता उनके खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। पार्टी के अंदर ये चर्चा लगातार बनी हुई है कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप भी उम्मीदवार बन सकते हैं…
डोनाल्ड ट्रंप
– फोटो : PTI (फाइल फोटो)
अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को राजनीतिक चंदा जुटाने में मिली सफलता से उनके विरोधियों की चिंता बढ़ रही है। ताजा सामने आई जानकारी के मुताबिक ट्रंप को बीते छह महीनों में दस करोड़ डॉलर का चंदा मिला है। ये चंदा उनके समर्थकों ने दिया है। इसे इस बात की फिर से पुष्टि के तौर पर देखा गया है कि अपने समर्थकों के बीच ट्रंप लोकप्रिय बने हुए हैं। साथ ही यह इस बात का संकेत है कि आने वाले चुनावों में ट्रंप की महत्वपूर्ण भूमिका बनी रहेगी।
टीवी चैनल सीएनएन के एक विश्लेषण में कहा गया है कि आने वाले महीनों में ट्रंप के मिल रहे चंदे में और बढ़ोतरी हो सकती है। पिछले हफ्ते अमेरिकी मीडिया के एक हिस्से में ये खबर छपी थी कि ट्रंप ने पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने के लिए न्याय मंत्रालय पर अनुचित दबाव बनाया था। इसके अलावा इस साल छह जनवरी को कैपिटल हिल (संसद भवन) पर हुए हमले में उनकी भूमिका को लेकर भी लगातार विवाद चल रहा है। लेकिन उन्हें मिल रहे राजनीतिक चंदे से ये साफ है कि उनके समर्थकों पर ऐसी बातों का कोई असर नहीं हुआ है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप की इसी हैसियत के कारण रिपब्लिकन पार्टी के नेता उनके खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। पार्टी के अंदर ये चर्चा लगातार बनी हुई है कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप भी उम्मीदवार बन सकते हैं। जनमत सर्वेक्षणों से संकेत मिलता रहा है कि ट्रंप समर्थक पूर्व राष्ट्रपति के इस दावे में पूरा यकीन करते हैं कि उन्हें चुनावी धांधली के जरिए हराया गया। रिपब्लिकन पार्टी के जनाधार में ट्रंप के ऐसे समर्थकों की संख्या आधे से भी ज्यादा बताई जाती है।
विश्लेषकों के मुताबिक ट्रंप के इसी समर्थक वर्ग को संतुष्ट करने की कोशिश में रिपब्लिकन पार्टी के शासित राज्यों में नए चुनावी नियम लागू करने वाले कानून बनाए गए हैं। आरोप है कि उनके जरिए अल्पसंख्यक और ब्लैक समुदाय के लोगों के लिए मतदान करना मुश्किल बना दिया गया है। ये तबके आम तौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक माने जाते हैं। अपना राष्ट्रपति होने और अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में बहुमत होने के बावजूद डेमोक्रेटिक पार्टी रिपब्लिकन राज्यों में बनाए गए कानूनों को पलटने का बिल पारित नहीं करा पाई है।
ताजा सामने आई जानकारी के मुताबिक ट्रंप समर्थक राजनीतिक संगठनों के पास अभी दस करोड़ 20 लाख डॉलर का कोष है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक इसका मतलब यह है कि अगले साल होने वाले मध्य अवधि के चुनावों में ट्रंप एक अहम भूमिका निभाएंगे। अपने धन और समर्थक तबकों के आधार पर कई राज्यों में वे चुनाव नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में होंगे। ट्रंप पहले ही यह कह चुके हैं कि रिपब्लिकन पार्टी के जिन नेताओं ने पिछले राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम आने के बाद उसे रद्द कराने की कोशिश में उनका साथ नही दिया, वे उन्हें हराने की कोशिश करेंगे।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप का ताकतवर बने रहना राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। चीन और ईरान जैसे कई मसलों पर उन्हें इसी राजनीतिक स्थिति के दबाव में सख्त रुख अपनाने पर मजबूर होना पड़ा है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस रूप में सत्ता से बाहर रह कर भी ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी और काफी हद तक देश के एजेंडे को भी अपने ढंग से प्रभावित करने में सफल बने हुए हैं।
विस्तार
अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को राजनीतिक चंदा जुटाने में मिली सफलता से उनके विरोधियों की चिंता बढ़ रही है। ताजा सामने आई जानकारी के मुताबिक ट्रंप को बीते छह महीनों में दस करोड़ डॉलर का चंदा मिला है। ये चंदा उनके समर्थकों ने दिया है। इसे इस बात की फिर से पुष्टि के तौर पर देखा गया है कि अपने समर्थकों के बीच ट्रंप लोकप्रिय बने हुए हैं। साथ ही यह इस बात का संकेत है कि आने वाले चुनावों में ट्रंप की महत्वपूर्ण भूमिका बनी रहेगी।
टीवी चैनल सीएनएन के एक विश्लेषण में कहा गया है कि आने वाले महीनों में ट्रंप के मिल रहे चंदे में और बढ़ोतरी हो सकती है। पिछले हफ्ते अमेरिकी मीडिया के एक हिस्से में ये खबर छपी थी कि ट्रंप ने पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने के लिए न्याय मंत्रालय पर अनुचित दबाव बनाया था। इसके अलावा इस साल छह जनवरी को कैपिटल हिल (संसद भवन) पर हुए हमले में उनकी भूमिका को लेकर भी लगातार विवाद चल रहा है। लेकिन उन्हें मिल रहे राजनीतिक चंदे से ये साफ है कि उनके समर्थकों पर ऐसी बातों का कोई असर नहीं हुआ है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप की इसी हैसियत के कारण रिपब्लिकन पार्टी के नेता उनके खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। पार्टी के अंदर ये चर्चा लगातार बनी हुई है कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप भी उम्मीदवार बन सकते हैं। जनमत सर्वेक्षणों से संकेत मिलता रहा है कि ट्रंप समर्थक पूर्व राष्ट्रपति के इस दावे में पूरा यकीन करते हैं कि उन्हें चुनावी धांधली के जरिए हराया गया। रिपब्लिकन पार्टी के जनाधार में ट्रंप के ऐसे समर्थकों की संख्या आधे से भी ज्यादा बताई जाती है।
विश्लेषकों के मुताबिक ट्रंप के इसी समर्थक वर्ग को संतुष्ट करने की कोशिश में रिपब्लिकन पार्टी के शासित राज्यों में नए चुनावी नियम लागू करने वाले कानून बनाए गए हैं। आरोप है कि उनके जरिए अल्पसंख्यक और ब्लैक समुदाय के लोगों के लिए मतदान करना मुश्किल बना दिया गया है। ये तबके आम तौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक माने जाते हैं। अपना राष्ट्रपति होने और अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में बहुमत होने के बावजूद डेमोक्रेटिक पार्टी रिपब्लिकन राज्यों में बनाए गए कानूनों को पलटने का बिल पारित नहीं करा पाई है।
ताजा सामने आई जानकारी के मुताबिक ट्रंप समर्थक राजनीतिक संगठनों के पास अभी दस करोड़ 20 लाख डॉलर का कोष है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक इसका मतलब यह है कि अगले साल होने वाले मध्य अवधि के चुनावों में ट्रंप एक अहम भूमिका निभाएंगे। अपने धन और समर्थक तबकों के आधार पर कई राज्यों में वे चुनाव नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में होंगे। ट्रंप पहले ही यह कह चुके हैं कि रिपब्लिकन पार्टी के जिन नेताओं ने पिछले राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम आने के बाद उसे रद्द कराने की कोशिश में उनका साथ नही दिया, वे उन्हें हराने की कोशिश करेंगे।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप का ताकतवर बने रहना राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। चीन और ईरान जैसे कई मसलों पर उन्हें इसी राजनीतिक स्थिति के दबाव में सख्त रुख अपनाने पर मजबूर होना पड़ा है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस रूप में सत्ता से बाहर रह कर भी ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी और काफी हद तक देश के एजेंडे को भी अपने ढंग से प्रभावित करने में सफल बने हुए हैं।
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