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अफगानिस्तान पर चर्चा : चीन आज पाकिस्तान की बैठक में लेगा हिस्सा, भारत की बैठक से रहा था दूर

सार

बुधवार को हुई मध्य एशिया के पांच देशों के अलावा रूस और ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों-सुरक्षा प्रतिनिधियों की बैठक के बाद घोषणपत्र में दोहराया गया कि मानवीय सहायता अबाध, प्रत्यक्ष और सुनिश्चित तरीके से प्रदान की जानी चाहिए और इसमें भेदभाव नहीं होगा। कोरोना का प्रसार रोकने के लिए भी सहायता की प्रतिबद्धता दोहराई गई। 

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भारत की अगुवाई में बुधवार को हुई बैठक से दूरी बनाने वाला चीन बृहस्पतिवार को पाकिस्तान के नेतृत्व में अफगानिस्तान पर होने वाली बैठक में हिस्सा लेगा। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के संकट पर दि ट्रॉयका प्लस नाम से अमेरिका, रूस और चीन के राजनयिकों की एक बैठक बुलाई है। 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, चीन इस बैठक को लेकर पाकिस्तान का समर्थन करता है। हम अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए वैश्विक आम सहमति कायम करने के हर प्रयास का समर्थन करते हैं। इस बैठक में अफगानिस्तान मामलों के विशेष राजनयिक यू जिया यॉन्ग इस बैठक में हिस्सा लेंगे। 

दिल्ली घोषणापत्र : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में इस बात पर बनी सहमति
उधर, बुधवार को हुई मध्य एशिया के पांच देशों के अलावा रूस और ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों-सुरक्षा प्रतिनिधियों की बैठक के बाद घोषणपत्र में दोहराया गया कि मानवीय सहायता अबाध, प्रत्यक्ष और सुनिश्चित तरीके से प्रदान की जानी चाहिए और इसमें भेदभाव नहीं होगा। कोरोना का प्रसार रोकने के लिए भी सहायता की प्रतिबद्धता दोहराई गई। 

भारत की चिंताओं के अनुरूप ही सभी आठ देशों ने वहां एक खुली और वास्तव में ऐसी समावेशी सरकार बनाने की वकालत की जिसमें अफगानिस्तान के सभी लोगों की इच्छा और समाज का प्रतिनिधित्व करता हो। महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समुदायों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो पाए इसका ध्यान रखा जाए। घोषणा पत्र में अफगानिस्तान में राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया के तहत सरकार और शासन में समाज के सभी वर्गों को प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे में शामिल करने का आह्वान किया गया है।

अतीत की आशंकाओं को भी किया रेखांकित
भारत ने अपने घोषणापत्र में अतीत में जताई गई आशंकाओं और चिंताओं को भी रेखांकित किया है। अफगानिस्तान में तालिबान की दोबारा वापसी के बाद भारत शुरू से ही आतंकवाद को आश्रय मिलने समेत कई अहम मुद्दों पर दुनिया को आगाह करता रहा है। अफगानिस्तान को लेकर एक संयुक्त नीति बनाने की मांग भी की है। इसके बाद भारत ने एनएसए बैठक के जरिये इस दिशा में पहल करते हुए नीति पेश की जिस पर रूस, ईरान समेत मध्य एशिया के पांच देशों ने सहमति जताई है। अफगानिस्तान में बिगड़ती सामाजिक-आर्थिक और मानवीय स्थिति पर चिंता व्यक्त की और वहां के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। ब्यूरो

पीएम मोदी से मुलाकात
बैठक के बाद मध्य एशिया के पांच देशों के अलावा रूस और ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों-सुरक्षा प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। एनएसए डोभाल और विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला की उपस्थिति में हुई इस मुलाकात के दौरान बुधवार की बैठक के संबंध में उनको अवगत कराया गया।  

2022 में अगली बैठक पर सहमति
बैठक में शामिल देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने बैठक के लिए भारत का आभार जताया। साथ ही, 2022 में अगले दौर की बैठक आयोजित करने पर सहमति जताई।

तालिबान बोला- हम आशावादी
भारत में बैठक को लेकर आशावादी हैं। अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर इससे निश्चित रूप से समझ बढ़ेगी। -जबीहुल्ला मुजाहिद, प्रवक्ता, तालिबान  

विस्तार

भारत की अगुवाई में बुधवार को हुई बैठक से दूरी बनाने वाला चीन बृहस्पतिवार को पाकिस्तान के नेतृत्व में अफगानिस्तान पर होने वाली बैठक में हिस्सा लेगा। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के संकट पर दि ट्रॉयका प्लस नाम से अमेरिका, रूस और चीन के राजनयिकों की एक बैठक बुलाई है। 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, चीन इस बैठक को लेकर पाकिस्तान का समर्थन करता है। हम अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए वैश्विक आम सहमति कायम करने के हर प्रयास का समर्थन करते हैं। इस बैठक में अफगानिस्तान मामलों के विशेष राजनयिक यू जिया यॉन्ग इस बैठक में हिस्सा लेंगे। 

दिल्ली घोषणापत्र : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में इस बात पर बनी सहमति

उधर, बुधवार को हुई मध्य एशिया के पांच देशों के अलावा रूस और ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों-सुरक्षा प्रतिनिधियों की बैठक के बाद घोषणपत्र में दोहराया गया कि मानवीय सहायता अबाध, प्रत्यक्ष और सुनिश्चित तरीके से प्रदान की जानी चाहिए और इसमें भेदभाव नहीं होगा। कोरोना का प्रसार रोकने के लिए भी सहायता की प्रतिबद्धता दोहराई गई। 

भारत की चिंताओं के अनुरूप ही सभी आठ देशों ने वहां एक खुली और वास्तव में ऐसी समावेशी सरकार बनाने की वकालत की जिसमें अफगानिस्तान के सभी लोगों की इच्छा और समाज का प्रतिनिधित्व करता हो। महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समुदायों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो पाए इसका ध्यान रखा जाए। घोषणा पत्र में अफगानिस्तान में राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया के तहत सरकार और शासन में समाज के सभी वर्गों को प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे में शामिल करने का आह्वान किया गया है।

अतीत की आशंकाओं को भी किया रेखांकित

भारत ने अपने घोषणापत्र में अतीत में जताई गई आशंकाओं और चिंताओं को भी रेखांकित किया है। अफगानिस्तान में तालिबान की दोबारा वापसी के बाद भारत शुरू से ही आतंकवाद को आश्रय मिलने समेत कई अहम मुद्दों पर दुनिया को आगाह करता रहा है। अफगानिस्तान को लेकर एक संयुक्त नीति बनाने की मांग भी की है। इसके बाद भारत ने एनएसए बैठक के जरिये इस दिशा में पहल करते हुए नीति पेश की जिस पर रूस, ईरान समेत मध्य एशिया के पांच देशों ने सहमति जताई है। अफगानिस्तान में बिगड़ती सामाजिक-आर्थिक और मानवीय स्थिति पर चिंता व्यक्त की और वहां के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। ब्यूरो

पीएम मोदी से मुलाकात

बैठक के बाद मध्य एशिया के पांच देशों के अलावा रूस और ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों-सुरक्षा प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। एनएसए डोभाल और विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला की उपस्थिति में हुई इस मुलाकात के दौरान बुधवार की बैठक के संबंध में उनको अवगत कराया गया।  

2022 में अगली बैठक पर सहमति

बैठक में शामिल देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने बैठक के लिए भारत का आभार जताया। साथ ही, 2022 में अगले दौर की बैठक आयोजित करने पर सहमति जताई।

तालिबान बोला- हम आशावादी

भारत में बैठक को लेकर आशावादी हैं। अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर इससे निश्चित रूप से समझ बढ़ेगी। -जबीहुल्ला मुजाहिद, प्रवक्ता, तालिबान  

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